क्या हम वास्तव में आज़ाद हैं ? या फिर आज़ादी के नाम का चश्मा चढ़ा है हमारी आंखों में ? चलिए देखते हैं | स्वतंत्रता दिवस

क्या है भारतीय स्वतंत्रता दिवस और क्यों मनाते हैं ?

प्रति वर्ष 15 अगस्त को हम भारतीय स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाते हैं | क्योंकि हमारे पूर्वजों ने कठिन परिश्रम व संघर्ष से स्वतंत्रता संग्राम जैसे यज्ञ में अपने व अपने परिवार वालों का बलिदान कि आहुति देकर सन 1947 में आज ही के तारीख़ में ब्रिटिश अंग्रेजों को भारत से उनकी सत्ता को हटाने के लिए विवस किया था | तब से आज तक हम इस दिन, उन शहीदों को स्मरण करके, स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाते हैं |

क्या हम आज वास्तव में स्वतंत्र हैं ? चलिए देखते हैं

स्वतंत्र भारत के चार स्तम्भ और उनकी जिम्मेदारी
  • न्यायपालिका – कानून तथा न्याय की रक्षा करना तथा जनता को इनसे अवगत कराना
  • कार्यपालिका – कानून व्यवस्था को जनता तक लेकर जाना
  • विधायका – कानून बनाना
  • पत्रकारिता – उपरोक्त तीनों पर नजर रखना और जनता को बताना

अगर ये स्तम्भ ही कमजोर हो जाये तो क्या हमारा यह कहना की हम स्वतंत्र हैं, कितना सहीं रहेगा !

2023 में स्वतंत्र भारत के चार स्तंभों को कमजोर करने वाले कुछ मुख्य कारक हैं
  • सांप्रदायिक (जाति-धर्म) ध्रुविकरण
  • भ्रष्टाचार

उपरोक्त कारकों को बढ़ावा देने वाला मुख्य कारक है कुछ लोगों में (जिसकी गणना लगभग 80% है) अशिक्षा तथा तार्किक एंव बौद्धिक क्षमता की कमी | जिसके वजह से

  • भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है, जिसका वे स्वयं हीं शिकार होते हैं |
  • भ्रष्टाचारी इन लोगों पर सांप्रदायिक जाल फेंकते हैं, जिसमे में ये अबोध जनता बहुत आसानी से फंसते चले जाते हैं और कभी इससे आज़ाद नहीं हो पाते | बात इससे एक चरण आगे बढ़ कर इनके आने वाली पीढ़ी तक पहुंच जाती है, क्योंकि 95% बच्चे वही करते हैं जो उनके पालक करते हैं |

सांप्रदायिक ध्रुविकरण एक ऐसा अस्त्र है जिसमे आग्नेय, वायव्य, पन्नग के साथ-साथ यंत्रमुक्ता की भी क्षमता समाहित होती है | इस अस्त्र से विविधता में एकता को खंडित किया जाता रहा है, तथा अबोध जनता की सहायता से भ्रष्टाचारियों द्वारा भविष्य में भी खंडित किया जायेगा |

उपरोक्त बिंदु चर्चा का एंव व्याख्या का विषय है, जो की आने वाले भाग में जारी रहेगा | जिसमे हम पढेंगे की कैसे चारों स्तंभों पर बारी-बारी से आघात किया गया, जिससे हमारे लोकतंत्र स्थिति चिंताजनक बन गयी है |

इन अस्त्र से बचने के लिए

शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो

डॉ. भीमराव अंबेडकर

जय हिन्द, जय भारत